in

LikeLike WOWWOW OMGOMG BestBest InformativeInformative Nice OneNice One

तेज़ाब!

बड़ी मिन्नतों से घरवालों को मनाया था

पढ़ाई जरूरी है ये उनको बतलाया था

आखिरकार मान गए थे वो सब

अब घर से बाहर निकलने का मौका आया था

बहुत खुश थी मैं, कि सपने होंगे पूरे

नज़र लगी तुम्हारी और वह रह गए अधूरे

तुम रोज़ चौंक पर खड़े, करते थे मुझे परेशान

मना करने पर भी किया, अपने झूठे प्यार का गान

दिन – प्रतिदिन हालात हुए बद से बद्तर

न मैं बता सकीं घरवालों को डरकर

डर था कि रूक न‌ जाए मेरी पढ़ाई

सोचा खुद ही जीत जाऊंगी ये लड़ाई

मगर तुम यह सह नहीं पाएं

फेंककर तेज़ाब मुझ पर

जिंदगी भर की लगा दी हाय!

क्यूं? क्या ग़लती थी मेरी?

तुम्हारा झूठा प्यार प्रचार था

मेरा साफ इंकार था

फिर क्यों जला दिया मुझे और मेरे सपनों को

गलती तो शायद बड़ी होगी

जिसकी इतनी दर्दनाक सज़ा हो

बस ठुकराया था प्यार तुम्हारा

और छीन लिया तुमने मेरा हर‌ सहारा

कैसे तुम्हें अपनी गलती का अहसास हो?

कैसे तुम भी मेरी तरह जिन्दा लाश बनो?

कैसे तुम्हारे भी टूट जाए सब ख्वाब?

क्या मैं भी फेंकू तुम पर तेज़ाब?

What do you think?

48 Points

Written by Nidhi Dahiya

Subscribe
Notify of
guest
24 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments
Sheetal Malik

This is great…You have written it so well.

Riya Rajkotiya

It’s Awesome
U write so well

Amna Alim

that is so heart touching!

Lutfia Khan

really loved this one

Lutfia Khan

it’s so well expressed. beautifully written!

Anamta Khan

This was so nice

Kuldeep

Woww…You have great writing skills. Its just amazing.

Atul

Nice

Brinda S

well written!

Monu malik

Its really amezing . Nicely express . Keep writing for us…

Ankit

Osm article

Sushmitha Subramani

Very heart touching poem. Beautiful

Jigyasa vashistha

Thanks alot for this article. Sending you positive vibes✨❤