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एक न‌ई शुरुआत

अगर आज मैं स्वस्थ हुआ, तो क्या करूंगा?
अगर आज ठीक हुआ, तो क्या पहले जैसा रहूंगा?
क्या पहले से मजबूत बनूंगा या कुछ नया दिखूंगा?
मगर जो सब कुछ सहा, क्या उसे निकल सकूंगा?

क्या जिंदगी पहले जैसी खूबसूरत हो पाएगी?
क्या कभी दोबारा सपनों वाली निंद आएगी?
क्या लोगों को मेरा नाम अब भी याद होगा?
या भूले हैं मुझे, ताकि शर्मिंदा न उन्हें होना पड़ेगा?

शायद पहले जैसी स्वस्थ जिंदगी बनानी पड़ेगी
एक साहस करने से ही उम्मीद मेरी बढ़ेगी
बदलना होगा जिंदगी का यह अंधेरे में खेल
तोड़ जंजीरें, छोड़नी होगी ये मानसिक रोग की जेल।

स्वस्थ होने का यह सफ़र ज़रा सा लम्बा होगा
मगर अब पहले से भी मजबूत बनना होगा
ख़त्म कर मानसिक रोग, खुद को बचाना होगा
निकल कर काली रातों से, मुझे अब जीना होगा

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65 Points

Written by Nidhi Dahiya

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Lutfia Khan

your Hindi work is also just as awesome!

Riya Rajkotiya

It’s Superb
Just go on
Keep it up

Kuldeep

You are an inspiration. Well done. Keep working hard.

Aastha Kothari

This is so beautifully written!!

Atul

Nice

Brinda S

well written!

Ankit

Nice work ☺️

Mohit Dahiya

Wow..

Jigyasa vashistha

thanks for writing …this is so wonderful article..loved it 🙂

Jigyasa vashistha

very very informative … keep writing:)