हर दिन मेरे लिए जीने की लड़ाई हैं
जिंदगी संघर्षों से भरी एक सच्च़ाई हैं
बीत ज़ाते हैं दिन झूठी मुस्क़ान से
दिखावा जरूरी है मेरी ज़ान से
किसी को इस ब़ात क़ा अहस़ास नहीं
क्यों झूठ में जीऩा ही लगत़ा है सही
बहुत समझ़ाने की कोशिश की
जिन्हें समझ नहीं म़ानसिक रोग की
यह बत़ाने की
कि मेऱा मस्तिष्क स्वस्थ नहीं
रहत़ा है हमेशा व्यस्त कहीं
उच्च रखरख़ाव, मजबूत मैं
ये सब दिखावा हैं
मुझे डर लगत़ा है उन काली रातों से
पर उससे ज़्यादा दुनिया की ब़ातों से
मुझे अयोग्य कऱार किया
बदसूरत कहकर ठुकरा दिया
परिवार नहीं समझने को तैय़ार
बन गई हूं उनके लिए एक भार
अब थक गई हूं दवाईयां खाकर
मगर सो पाती हूं थोड़ी राहत पाकर
कभी कभी लगता है कि
ख़त्म करूं ये सब
पूरी तरह जिन्द़ा रह पाऊंगी तब
पर क्य़ा निकल सकूंगी इस गहऱाई से
क्योंकि फंसी हूं मैं अंदरुनी लड़ाई में!
Well written
Thank you
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Good luck
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Thanks alot for this article. Sending you positive vibes✨❤
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यह बहुत खूबसूरती से लिखा गया है .…